Wednesday, October 10, 2018

विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तैयार, भास्कर लाया पहली संपूर्ण तस्वीर और वीडियो

  • 6 फीट के इंसान के कद से बड़े होंठ, आंखें और जैकेट के बटन, 220 किमी प्रति घंटे की रफ्तार की हवाओं का भी असर नहीं
  • सात मंजिला इमारत जितना ऊंचा तो सिर्फ चेहरा है, 70 फीट के हाथ हैं, पैरों की ऊंचाई 85 फीट से ज्यादा
  • सबसे कम वक्त में बनने वाली यह दुनिया की पहली प्रतिमा, अनावरण 31 अक्टूबर को

 इस प्रतिमा को बनाने वाले शिल्पकार पद्मश्री राम सुथार और उनके बेटे अनिल सुथार भी उस पल का इंतजार है, जब आम लोगों के लिए इस प्रतिमा का अनावरण होगा। सुथार बंधुओं ने बताया, "मोदीजी को सरदार की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने का विचार आया। उनकी सूचना के बाद काम आगे बढ़ा। अमेरिकन आर्किटेक्ट माइकल ग्रेस और टनल एसोसिएट्स कंपनी को भी हायर किया गया है। उन्होंने हमसे बहुत सारी जानकारियां ली। माइकल ग्रेस ने भारत में सरदार पटेल की सभी मूर्तियां को देखा और उनके बारे में पढ़ा।"

सरकार स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को पश्चिम भारत के सबसे शानदार पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित कर रही है। यहां पर्यटकों के लिए प्रतिमा के अलावा भी कई आकर्षण बनाए जा रहे हैं। पर्यटक यहां भी रुक सकेंगे।

अहमदाबाद.    सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची मूर्ति तैयार है। नर्मदा के बांध पर बनी यह मूर्ति सात किलोमीटर दूर से नजर आने लगती है। स्टैच्यू में लगी लिफ्ट से पर्यटक सरदार के हृदय तक जा सकेंगे। यहां से लोग सरदार सरोवर बांध के अलावा नर्मदा के 17 किमी लंबे तट पर फैली फूलों की घाटी का नजारा देख सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस प्रतिमा का अनावरण 31 अक्टूबर को करेंगे।

यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। इसके बाद 128 मीटर ऊंची चीन की स्प्रिंग बुद्ध और न्यूयॉर्क की 90 मीटर ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का नंबर आता है। इसे  करीब 7 किमी दूर से देखा जा सकता है। इसकी संपूर्ण तस्वीर के लिए भास्कर के रिपोर्टर सात दिन तक निर्माण स्थल पर रहे। भास्कर मोबाइल एप आपको वो सब बताने जा रहा है, जिसे जानना आपको जरूरी है...
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण में पांच साल (60 माह) का वक्त लगा। सबसे कम समय में बनने वाली यह दुनिया की पहली प्रतिमा है। दुनिया की सबसे लंबी प्रतिमा चीन के लेशान में हैं। बुद्ध की 420 फीट ऊंची यह प्रतिमा करीब 90 साल में बनी थी।
चीफ इंजीनियर के मुताबिक, स्टैच्यू की निर्माण भूकंपरोधी तकनीक से किया गया है। सरदार की प्रतिमा का आर्किटेक्चर इस तरह से बनाया गया है कि 6.5 की तीव्रता का भूकंप और 220 किमी प्रति घंटे की रफ्तार की हवाओं वाले तूफान का भी इस पर कोई असर नहीं होगा।
शिल्पकार राम सुथार का कहना है कि प्रतिमा की सिंधु घाटी सभ्यता की कला से बनाया गया है। इसमें चार धातुआें का उपयोग किया गया है जिसे बरसों तक जंग नहीं लगेगी। स्टैच्यू में 85 फीसदी तांबा इस्तेमाल किया गया है।
स्टैच्यू में लगी लिफ्ट की मदद से पर्यटक सरदार के ह्दय तक जा सकेंगे। वे यहां बनी गैलरी भी देख सकेंगे। गैलरी इस तरह से बनाई गई है कि इसे देखने वाले लोग सरदार सरोवर बांध के अलावा नर्मदा के 17 किमी लंबे तट पर फैली फूलों की घाटी का मनोरम नजारा देख सकेंगे।
"उन्होंने अपने रिसर्च के बाद बताया कि सरदार पटेल के व्यक्तित्व, चाल, कपड़ों और चेहरे के हावभाव वाली सबसे सटीक मूर्ति अहमदाबाद एयरपोर्ट पर लगी है। उन्होंने सरकार को बताया कि यह मूर्ति हमने बनाई है। इसके बाद सरकार की ओर से हमें फोन आया कि सरदार पटेल की एयरपोर्ट पर बनी प्रतिमा उनको पसंद आई है।"
 "उन्होंने पूछा कि क्या हम फोटोग्राफ या फिर प्रतिमा का उपयोग कर सकते हैं? इसके बाद मैंने जवाब दिया कि अगर आपको सरदार की प्रतिमा चाहिए तो मैं देने को तैयार हूं। इसके बाद जब भूमि पूजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लालकृष्ण आडवाणी आए तो बताया गया कि सरकार ने सरदार पटेल की हमारी बनाई गई प्रतिमा का चयन किया है।"
सुतार बंधुओं ने बताया कि टेंडर मिलने के बाद निर्माण क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने हमसे संपर्क किया। फिर हम इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़ गए। लेकिन सबसे बड़ा सवाल अभी बाकी था कि चेहरा कैसा हो? इसके लिए सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट ने एक कमेटी बनाई। कमेटी में सात से दस लोग थे। सबसे अलग-अलग विचार थे। कुछ का कहना था कि फोटो में जैसे दिखते हैं वैसे ही कपड़े होने चाहिए।
उन्होंने बताया कि एलएंडटी ने 3डी चेहरा बनाया। उसके बाद हमने 30 फीट का चेहरा बनाया। इसके बाद कमेटी के सदस्य हमारे दिल्ली के ऑफिस में आए और सरदार के चेहरे को अप्रूव किया। एलएंडटी की सूचना पर हमने ब्रांज का चेहरा बनाकर दिया
सुतार ने बताया कि इसके बाद चीन की एक कास्टिंग कंपनी को सरदार का चेहरा भेजा गया। उन्होंने वहां थर्माकोल की प्रतिमा बनाने को काम शुरू किया। इसके बाद हमें चीन जाकर काम देखने को कहा गया। हमने वहां देखा कि सरदार की प्रतिमा भी बुद्ध के जैसी लग रही थी। हमने कहा कि हमें सरदार की प्रतिमा वैसी चाहिए जैसा लोगों ने उन्हें देखा है। इसके बाद 2 मीटर X 2 मीटर के टुकड़े बनाकर कास्टिंग शुरू की गई।