अनामिका अपनी दादी के साथ हैदराबाद में रहती थीं. वह एनसीसी की कैडेट भी थीं. वो रिपब्लिक डे परेड में शामिल होने के लिए चुने जाने का
इंतज़ार कर रही थीं.
पापा मैं एक दिन आर्मी अफ़सर बनूंगी और आपका ख्याल करूंगी.
गुस्से
से भरी उदया बताती हैं, "मेरी बहन की मौत की वजह इंटरमीडिएट बोर्ड है. वे
ठीक से नंबर जोड़ना कैसे भूल सकते हैं. हम लोग बोर्ड के ख़िलाफ़ मुक़दमा
दर्ज कराएंगे."
कुछ हफ़्ते पहले हमने उदया और उनके परिवार वालों से
मुलाकात की थी, तब उदया इतने गुस्से में नहीं दिखी थीं. तब वो अपनी बहन की मौत के सच को स्वीकार करने की कोशिश में थीं. लेकिन अब वो ग़ुस्से से भरी
और अपनी बहन की मौत के बदले इंसाफ़ मांग रही हैं. इंटरमीडिएट बोर्ड में फिर
से जांच किए जाने के बाद अनामिका न केवल पास हुईं थीं बल्कि उन्हें पहले से 28 नंबर ज़्यादा हासिल हुए थे.
अनामिका की दादी उमा याद करती हैं, "जिस दिन पुलवामा अटैक हुआ था, उस दिन अनामिका पूरे दिन दिन टीवी के सामने बैठी रही, दरअसल वो रो रही थी. मैंने उससे पूछा कि क्यों रो रही हो तो उसने बताया था कि उसे हमले में शहीद हुए सैनिकों के परिवार वालों को लेकर उसे दुख महसूस हो रहा है."
अनामिका अपनी दादी के साथ हैदराबाद की एक संकरी सी गली
में मौजूद दो कमरों वाले घर में पली-बढ़ी थीं. उमा अलमारियों के ऊपर रखी
ट्रॉफ़ियां दिखाती हैं. ये अनामिका ने जीती थीं.
उमा बताती
हैं, "अनामिका एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया
करती थी. वो कहा करती थी कि अम्माम्मा, केवल पढ़ाई मुझे कहीं नहीं ले
जाएगी. जब मुझे पढ़ना होगा, मै पढ़ लूंगी. लेकिन उसने एक दिन भी कॉलेज मिस
नहीं किया था. वो किचन के कामों में भी हाथ बंटाती थीं और रात में पढ़ाई
करती थी."
एनसीसी यूनिफ़ॉर्म में अनामिका की तस्वीरें और अलमारी पर रखी तमाम ट्रॉफ़ियां सामने वाले तंग कमरे में पारिवारिक तस्वीरों के साथ नज़र आती हैं. हैदराबाद में होने वाले कई इवेंट्स में अनामिका बतौर एनसीसी
वॉलंटियर हिस्सा लेती थीं.
अनामिका के माता-पिता शहर के आदिलाबाद इलाके में रहते हैं. उनके पिता गणेश आदिलाबाद में छोटा-मोटा बिजनेस करते हैं.
गणेश बताते हैं, "कोई जैसी बेटी मांग सकता है, उतनी ही बेस्ट बेटी थी अनामिका. मैं शारीरिक तौर पर विकलांग हूं. वह मुझसे कहा
करती थी, पापा मैं आर्मी आफ़िसर बनकर आपकी देखभाल
करूंगी. वह शैतानियां भी करती थीं, जब छुट्टियों में घर आती थी तो पूरे घर के लोगों को अपने उछल-कूद से चिंता में डाले रखती थी."
ये सब बताते हुए गणेश मुस्कुराने की कोशिश करते हैं लेकिन इस कोशिश में उनका गला रुंधने लगते हैं.
उमा बताती हैं कि किस तरह से वो अपने पुराने स्कूल में बच्चों को फिजीकल ट्रेनिंग देने का काम करती थीं. उन्होंने बताया, "उसके टीचर उसे
बहुत पसंद करते थे. वे लोग भी उसकी मौत के बाद आए थे. अनामिका अपने कॉलेज
के बाद हर दूसरे दिन स्कूली बच्चों को थ्रो बॉल, कबड्डी और बास्केटबॉल की ट्रेनिंग देती थी."
उमा बताती हैं कि अनामिका उन्हें यंग लेडी कहा करती थीं.
उमा याद करती हैं, "अनामिका जल्दी ही दिल्ली जाने वाले थी. एनसीसी कैडेट के
तौर पर रिपब्लिक डे परेड में हिस्सा लेने के लिए उसे ज़रूरी ट्रेनिंग लेनी
थी. उसे सेलेक्शन प्रोसेस के नतीजों का इंतज़ार था."
उमा अपनी पोती के बारे में बताती हैं, "वो काफी समझदार थीं. उसे चिकन फ्राइ बहुत पसंद था. लेकिन जब हमारे पास पैसे नहीं होते तब वो सब्जियां भी खा लेती थीं. शिन चेन और डोरेमोन उसके पसंदीदा कार्टून
कैरेक्टर थे और वो उनके आवाजों की नकल भी उतार लेती थी."
उमा कुछ साल पहले पड़ोस में हुए एक हादसे को भी याद करती हैं, "पड़ोस की एक
बच्ची ने पिता के डांटने पर आत्महत्या कर ली थी. अनामिका को लगता था कि लड़की को ऐसा नहीं करना चाहिए था, वह भी केवल इस बात के लिए किसी ने उसे
डांट दिया हो."
उस मनहूस दिन अनामिका की दादी के घर में कई मेहमान आए हुए थे. अनामिका गली में ही मौजूद अपनी चाची के घर गई थीं.
दादी
उमा बताती हैं, "मुझे नहीं मालूम था कि उसके रिजल्ट आ गए. मुझे लगा कि
यहां जगह कम है तो वो वहां सोने गई है. मैं शाम में उसे चाय पीने के लिए बुलाने गई, उसने कहा कुछ मिनट में आ रही हूं लेकिन वो नहीं आई."
नम आंखें लेकिन चेहरे पर मुस्कान के साथ वेंकटेश बताते हैं कि उन्होंने वेन्नेला को सिखाया था कि मोटरसाइकिल कैसे चलाई जाती है.
"मैंने उसे बेसिक बातें बताई थी और राइड के लिए ले गया था. एक सुबह, वो पापा की बाइक लेकर राइड के लिए निकल गई. मैं तब सो रहा था. उसने मुझे राइड के बारे में बताया, मुझे यकीन नहीं हुआ तो मैंने उसे
फिर से राइड पर चलने को कहा, वो मुझे राइड पर ले गई."
"वह
एकदम आराम से बाइक चला रही थी, ये देखकर मुझे बेहद खुशी हुई. हालांकि कई बार बिना उसे बताए, उसकी सुरक्षा के लिए मैं उसके पीछे-पीछे चलता था. वो
हमारे गांव के खेतों में बने पतले रास्तों पर भी बाइक चला लेती थी. एक बार
तो वो अपने दोस्त की शादी में बाइक से जाना चाहती थी, मैंने पापा से उसे
अनुमति दिलवाई थी."