据全球大型企业提供的数据撰写的年度全球水项目报告称,在华企业在应对水危机问题上滞后于全球同行。
众多在华企业报告称,它们的商业活动因水资源问题受到诸多负面影响,其中包括财产损失、形象受损以及高额的运营成本。
然而,没有一家在华企业就水资源给经营带来的影响做出过评估;也没有任何一家企业报告称设立了与水资源相关的目标,更没有企业清楚地说明它们是否面临供应链风险。
在中国这样一个水资源短缺,70%的淡水资源都多多少少受到污染的国家里,上述结果令最近曝出的不少丑闻令众多大型企业形象受损。阿玛尼、CK、玛莎百货和Zara等高档服装品牌都卷入了中国纺织业
严重水污染事件中。法国威立雅水务集团则陷入了兰州水污染事故中,该事故引起了大范围恐慌。
CDP今日发布了根据174个全球五百强企业提供的数据所撰写的年度全球水项目报告。根据报告,在全球范围内,企业面临的水危机正不断加剧,但企业对于提供危机相关信息的意愿却在下降。
报称受干旱、污染和其他水资源相关问题困扰的企业数量在不断增多。但调查中有近一半的企业未能向投资者公开披露其水危机评估结果。
对此,CDP的水资源项目主管凯特•兰姆表示:“公开率下降是令人失望的(比去年下降了6%)。这可能与我们重新设计了调查问卷有关,有一些企业在回答与流域水资源相关财务会计问题时,表现得很犹豫。”
但积极的一面是,向董事层汇报水危机的企业越来越多(从2013年的58%上升到62%)。“但与气候变化的报告相比,这个水平仍然很低。有92%的企业就气候变化问题设立了董事会监管。因此,要想提高对水危机的认识,还需要进一步的努力。”兰姆评价道。
在全球范围内,要求供应商披露其水危机应对信息的企业数量正在增多。
报告称,能源行业企业在披露这个问题上的透明度最差,而水资源和能源之间是紧密联系的,上述发现很令人吃惊。
中国面临的挑战
在华企业面临的水资源挑战只会更加严峻。中国水资源短缺已经迫使干旱地区的燃煤电站关停,未来也会限制可替代能源的发展,供应链也难免不受波及。
另外,有迹象表明中国政府将对污染者和污水排放采取更严格的措施,很可能对工业领域开出更高的罚金并制定更高的目标。 年,仅北京市政府就关闭了200家高污染、低效能的企业,这些企业都蒙受了巨大的经济损失。
近年来,中国公众在污染问题上越来越活跃,由于公众的不信任和反对,其他一些项目也被迫暂停。
兰姆表示,为数不多的向CDP披露信息的企业也是迫于顾客的要求。这表明在中国消费者是推动变革的主力,而非投资者。公众环境研究中心的马俊就是其中之一,他一直致力于帮助企业发现供应链上存在的水资源问题。
兰姆继续说:“我们希望中国最终能够强制企业开展水资源报告。政府如果毫无动作,就很难真正地推动变革。”
兰姆说,在印度的企业要比中国同行做得好,虽然它们报告的信息质量良莠不齐。
浏览更多CDP的水资源数据集和图像,请点击此处;阅读全球水项目报告,请点击此处。
Wednesday, August 29, 2018
Wednesday, August 8, 2018
करुणानिधि: तमिलनाडु के सबसे बड़े सियासी स्क्रिप्टराइटर
तमिलनाडु को सामाजिक और आर्थिक रूप से तरक़्क़ीपसंद राज्य बनाने में
उनका बड़ा योगदान रहा. भारतीय राजनीति में करुणानिधि का योगदान अतुलनीय है.
करुणानिधि का 94 साल की उम्र में निधन gambling
वो देश के सबसे सीनियर राजनेताओं में से एक थे. पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे और क़रीब 60 साल तक विधायक रहे.
करुणानिधि निजी तौर पर कोई चुनाव नहीं हारे. करुणानिधि का जन्म आज के तमिलनाडु के नागापट्टिनम ज़िले एक निम्नवर्गीय परिवार में 3 जून 1924 को हुआ था.
मुथुवेल करुणानिधि ने बचपन में ही लिखने में काफ़ी दिलचस्पी पैदा कर ली थी. लेकिन, जस्टिस पार्टी के एक नेता अलागिरिसामी के भाषणों ने उनका ध्यान राजनीति की तरफ़ आकर्षित कर लिया.
स्कूल में 50 पन्नों की पनगल राजा रामरायानिंगर कहानी, जस्टिस पार्टी के एक नेता और मद्रास प्रेसीडेंसी के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने भी युवा करुणानिधि को प्रेरणा दी.
करुणानिधि ने किशोरावस्था में ही सार्वजनिक जीवन की तरफ़ क़दम बढ़ा दिए थे. उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी में स्कूल के सिलेबस में हिंदी को शामिल किए जाने के ख़िलाफ़ हुए विरोध-प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था.
17 साल की उम्र में उनकी राजनीतिक सक्रियता काफ़ी बढ़ गई थी. करुणानिधि ने 'तमिल स्टूडेंट फ़ोरम' के नाम से छात्रों का एक संगठन बना लिया था और हाथ से लिखी हुई एक पत्रिका भी छापने लगे थे.
1940 के दशक की शुरुआत में करुणानिधि की मुलाक़ात अपने उस्ताद सीएन अन्नादुरै से हुई.
जब अन्नादुरै ने 'पेरियार' ईवी रामास्वामी की पार्टी द्रविडार कझगम (डीके) से अलग होकर द्रविड़ मुनेत्र कझगम यानी डीएमके की शुरुआत की, तब तक करुणानिधि उनके बेहद क़रीबी हो चुके थे.
उस वक़्त यानी महज़ 25 बरस की उम्र में करुणानिधि को डीएमके की प्रचार समिति में शामिल किया गया था.
इसी दौरान, करुणानिधि ने फ़िल्मी दुनिया में भी क़दम रखा. उन्होंने सबसे पहले तमिल फ़िल्म 'राजाकुमारी' के लिए डायलॉग लिखे. इस पेशे में भी करुणानिधि को ज़बरदस्त कामयाबी मिली.
सबसे ख़ास बात ये थी कि करुणानिधि के डायलॉग में सामाजिक न्याय और तरक़्क़ीपसंद समाज की बातें थीं. 1952 में आई फ़िल्म 'पराशक्ति' में करुणानिधि के लिखे ज़बरदस्त डायलॉग ने इसे तमिल फ़िल्मों में मील का पत्थर बना दिया.
फ़िल्म के शानदार डायलॉग के ज़रिए अंधविश्वास, धार्मिक कट्टरता और उस वक़्त की सामाजिक व्यवस्था पर सवाल उठाए गए थे.
कल्लाक्कुडी नाम की जगह का नाम बदलकर डालमियापुरम करने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के चलते करुणानिधि छह महीने के लिए जेल में डाल दिए गए.sex
इसके बाद से पार्टी में वो बहुत ताक़तवर होने लगे. अपने विचारों का ज़ोर-शोर से प्रचार करने के लिए करुणानिधि ने मुरासोली नाम के अख़बार का प्रकाशन शुरू किया. (यही अख़बार बाद में डीएमके का मुखपत्र बना) मलाईकल्लन, मनोहरा जैसी फ़िल्मों में अपने शानदार डायलॉग के ज़रिए करुणानिधि तमिल फ़िल्मी उद्योग में सबसे बड़े डायलॉग लेखक बन चुके थे.
करुणानिधि ने 1957 से चुनाव लड़ना शुरू किया था. पहले प्रयास में वो कुलिथलाई से विधायक बने. करुणानिधि ने अपना आख़िरी चुनाव 2016 में थिरुवारूर से लड़ा था. इस विधानसभा क्षेत्र में उनका पुश्तैनी गांव भी आता है. कुल मिलाकर करुणानिधि ने 13 विधानसभा चुनाव लड़े और हर चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की.
जब 1967 में उनकी पार्टी डीएमके ने राज्य की सत्ता हासिल की, तो सरकार में वो मुख्यमंत्री अन्नादुरै और नेदुनचेझियां के बाद तीसरे सबसे सीनियर मंत्री बने थे. डीएमके की पहली सरकार में करुणानिधि को लोक निर्माण और परिवहन मंत्रालय मिले थे. परिवहन मंत्री के तौर पर उन्होंने राज्य की निजी बसों का राष्ट्रीयकरण किया और राज्य के हर गांव को बस के नेटवर्क से जोड़ना शुरू किया. इसे करुणानिधि की बड़ी उपलब्धियों में गिना जाता है.fuck
जब करुणानिधि के मेंटर सीएन अन्नादुरै की 1969 में मौत हो गई, तो वो मुख्यमंत्री बने. करुणानिधि के मुख्यमंत्री बनने से राज्य की राजनीति में नए युग की शुरुआत हुई थी.
करुणानिधि की पहली सरकार के कार्यकाल में ज़मीन की हदबंदी को 15 एकड़ तक सीमित कर दिया गया था. यानी कोई भी इससे ज़्यादा ज़मीन का मालिक नहीं रह सकता था.
इसी दौरान करुणानिधि ने शिक्षा और नौकरी में पिछड़ी जातियों को मिलने वाले आरक्षण की सीमा 25 से बढ़ाकर 31 फ़ीसदी कर दी. क़ानून बनाकर सभी जातियों के लोगों के मंदिर के पुजारी बनने का रास्ता साफ़ किया गया. राज्य में सभी सरकारी कार्यक्रमों और स्कूलों में कार्यक्रमों की शुरुआत में एक तमिल राजगीत (इससे पहले धार्मिक गीत गाए जाते थे) गाना अनिवार्य कर दिया गया.
19वीं सदी के तमिल नाटककार और कवि मनोनमानियम सुंदरानार की लिखी कविता को तमिल राजगीत बनाया गया. करुणानिधि ने एक क़ानून बनाकर लड़कियों को भी पिता की संपत्ति में बराबर का हक़ दिया.
उन्होंने राज्य की सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण भी दिया. सिंचाई के लिए पंपिंग सेट चलाने के लिए बिजली को करुणानिधि ने मुफ़्त कर दिया. उन्होंने पिछड़ों में अति पिछड़ा वर्ग बनाकर उसे पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति कोटे से अलग, शिक्षा और नौकरियों में 20 फ़ीसदी आरक्षण दिया.
करुणानिधि की सरकार ने चेन्नई में मेट्रो ट्रेन सेवा की शुरुआत की. उन्होंने सरकारी राशन की दुकानों से महज़ एक रुपए किलो की दर पर लोगों को चावल देना शुरू किया. स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसद आरक्षण लागू किया. जनता के लिए मुफ़्त स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत की. दलितों को मुफ़्त में घर देने से लेकर हाथ रिक्शा पर पाबंदी लगाने तक के उनके कई काम सियासत में मील के पत्थर साबित हुए.
करुणानिधि 19 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने इस दौरान 'सामाथुवापुरम' के नाम से मॉडल हाउसिंग स्कीम शुरू की. इस योजना के तहत दलितों और ऊंची जाति के हिंदुओं को मुफ़्त में इस शर्त पर घर दिए गए कि वो जाति के बंधन से आज़ाद होकर साथ-साथ रहेंगे. इस योजना के तहत बनी कॉलोनियों में सवर्ण हिंदुओं और दलितों के घर अगल-बगल बनाए गए थे.
करुणानिधि का 94 साल की उम्र में निधन gambling
वो देश के सबसे सीनियर राजनेताओं में से एक थे. पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे और क़रीब 60 साल तक विधायक रहे.
करुणानिधि निजी तौर पर कोई चुनाव नहीं हारे. करुणानिधि का जन्म आज के तमिलनाडु के नागापट्टिनम ज़िले एक निम्नवर्गीय परिवार में 3 जून 1924 को हुआ था.
मुथुवेल करुणानिधि ने बचपन में ही लिखने में काफ़ी दिलचस्पी पैदा कर ली थी. लेकिन, जस्टिस पार्टी के एक नेता अलागिरिसामी के भाषणों ने उनका ध्यान राजनीति की तरफ़ आकर्षित कर लिया.
स्कूल में 50 पन्नों की पनगल राजा रामरायानिंगर कहानी, जस्टिस पार्टी के एक नेता और मद्रास प्रेसीडेंसी के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने भी युवा करुणानिधि को प्रेरणा दी.
करुणानिधि ने किशोरावस्था में ही सार्वजनिक जीवन की तरफ़ क़दम बढ़ा दिए थे. उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी में स्कूल के सिलेबस में हिंदी को शामिल किए जाने के ख़िलाफ़ हुए विरोध-प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था.
17 साल की उम्र में उनकी राजनीतिक सक्रियता काफ़ी बढ़ गई थी. करुणानिधि ने 'तमिल स्टूडेंट फ़ोरम' के नाम से छात्रों का एक संगठन बना लिया था और हाथ से लिखी हुई एक पत्रिका भी छापने लगे थे.
1940 के दशक की शुरुआत में करुणानिधि की मुलाक़ात अपने उस्ताद सीएन अन्नादुरै से हुई.
जब अन्नादुरै ने 'पेरियार' ईवी रामास्वामी की पार्टी द्रविडार कझगम (डीके) से अलग होकर द्रविड़ मुनेत्र कझगम यानी डीएमके की शुरुआत की, तब तक करुणानिधि उनके बेहद क़रीबी हो चुके थे.
उस वक़्त यानी महज़ 25 बरस की उम्र में करुणानिधि को डीएमके की प्रचार समिति में शामिल किया गया था.
इसी दौरान, करुणानिधि ने फ़िल्मी दुनिया में भी क़दम रखा. उन्होंने सबसे पहले तमिल फ़िल्म 'राजाकुमारी' के लिए डायलॉग लिखे. इस पेशे में भी करुणानिधि को ज़बरदस्त कामयाबी मिली.
सबसे ख़ास बात ये थी कि करुणानिधि के डायलॉग में सामाजिक न्याय और तरक़्क़ीपसंद समाज की बातें थीं. 1952 में आई फ़िल्म 'पराशक्ति' में करुणानिधि के लिखे ज़बरदस्त डायलॉग ने इसे तमिल फ़िल्मों में मील का पत्थर बना दिया.
फ़िल्म के शानदार डायलॉग के ज़रिए अंधविश्वास, धार्मिक कट्टरता और उस वक़्त की सामाजिक व्यवस्था पर सवाल उठाए गए थे.
कल्लाक्कुडी नाम की जगह का नाम बदलकर डालमियापुरम करने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के चलते करुणानिधि छह महीने के लिए जेल में डाल दिए गए.sex
इसके बाद से पार्टी में वो बहुत ताक़तवर होने लगे. अपने विचारों का ज़ोर-शोर से प्रचार करने के लिए करुणानिधि ने मुरासोली नाम के अख़बार का प्रकाशन शुरू किया. (यही अख़बार बाद में डीएमके का मुखपत्र बना) मलाईकल्लन, मनोहरा जैसी फ़िल्मों में अपने शानदार डायलॉग के ज़रिए करुणानिधि तमिल फ़िल्मी उद्योग में सबसे बड़े डायलॉग लेखक बन चुके थे.
करुणानिधि ने 1957 से चुनाव लड़ना शुरू किया था. पहले प्रयास में वो कुलिथलाई से विधायक बने. करुणानिधि ने अपना आख़िरी चुनाव 2016 में थिरुवारूर से लड़ा था. इस विधानसभा क्षेत्र में उनका पुश्तैनी गांव भी आता है. कुल मिलाकर करुणानिधि ने 13 विधानसभा चुनाव लड़े और हर चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की.
जब 1967 में उनकी पार्टी डीएमके ने राज्य की सत्ता हासिल की, तो सरकार में वो मुख्यमंत्री अन्नादुरै और नेदुनचेझियां के बाद तीसरे सबसे सीनियर मंत्री बने थे. डीएमके की पहली सरकार में करुणानिधि को लोक निर्माण और परिवहन मंत्रालय मिले थे. परिवहन मंत्री के तौर पर उन्होंने राज्य की निजी बसों का राष्ट्रीयकरण किया और राज्य के हर गांव को बस के नेटवर्क से जोड़ना शुरू किया. इसे करुणानिधि की बड़ी उपलब्धियों में गिना जाता है.fuck
जब करुणानिधि के मेंटर सीएन अन्नादुरै की 1969 में मौत हो गई, तो वो मुख्यमंत्री बने. करुणानिधि के मुख्यमंत्री बनने से राज्य की राजनीति में नए युग की शुरुआत हुई थी.
करुणानिधि की पहली सरकार के कार्यकाल में ज़मीन की हदबंदी को 15 एकड़ तक सीमित कर दिया गया था. यानी कोई भी इससे ज़्यादा ज़मीन का मालिक नहीं रह सकता था.
इसी दौरान करुणानिधि ने शिक्षा और नौकरी में पिछड़ी जातियों को मिलने वाले आरक्षण की सीमा 25 से बढ़ाकर 31 फ़ीसदी कर दी. क़ानून बनाकर सभी जातियों के लोगों के मंदिर के पुजारी बनने का रास्ता साफ़ किया गया. राज्य में सभी सरकारी कार्यक्रमों और स्कूलों में कार्यक्रमों की शुरुआत में एक तमिल राजगीत (इससे पहले धार्मिक गीत गाए जाते थे) गाना अनिवार्य कर दिया गया.
19वीं सदी के तमिल नाटककार और कवि मनोनमानियम सुंदरानार की लिखी कविता को तमिल राजगीत बनाया गया. करुणानिधि ने एक क़ानून बनाकर लड़कियों को भी पिता की संपत्ति में बराबर का हक़ दिया.
उन्होंने राज्य की सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण भी दिया. सिंचाई के लिए पंपिंग सेट चलाने के लिए बिजली को करुणानिधि ने मुफ़्त कर दिया. उन्होंने पिछड़ों में अति पिछड़ा वर्ग बनाकर उसे पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति कोटे से अलग, शिक्षा और नौकरियों में 20 फ़ीसदी आरक्षण दिया.
करुणानिधि की सरकार ने चेन्नई में मेट्रो ट्रेन सेवा की शुरुआत की. उन्होंने सरकारी राशन की दुकानों से महज़ एक रुपए किलो की दर पर लोगों को चावल देना शुरू किया. स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसद आरक्षण लागू किया. जनता के लिए मुफ़्त स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत की. दलितों को मुफ़्त में घर देने से लेकर हाथ रिक्शा पर पाबंदी लगाने तक के उनके कई काम सियासत में मील के पत्थर साबित हुए.
करुणानिधि 19 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने इस दौरान 'सामाथुवापुरम' के नाम से मॉडल हाउसिंग स्कीम शुरू की. इस योजना के तहत दलितों और ऊंची जाति के हिंदुओं को मुफ़्त में इस शर्त पर घर दिए गए कि वो जाति के बंधन से आज़ाद होकर साथ-साथ रहेंगे. इस योजना के तहत बनी कॉलोनियों में सवर्ण हिंदुओं और दलितों के घर अगल-बगल बनाए गए थे.
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