तमिलनाडु को सामाजिक और आर्थिक रूप से तरक़्क़ीपसंद राज्य बनाने में
उनका बड़ा योगदान रहा. भारतीय राजनीति में करुणानिधि का योगदान अतुलनीय है.
करुणानिधि का 94 साल की उम्र में निधन gambling
वो देश के सबसे सीनियर राजनेताओं में से एक थे. पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे और क़रीब 60 साल तक विधायक रहे.
करुणानिधि
निजी तौर पर कोई चुनाव नहीं हारे. करुणानिधि का जन्म आज के तमिलनाडु के
नागापट्टिनम ज़िले एक निम्नवर्गीय परिवार में 3 जून 1924 को हुआ था.
मुथुवेल करुणानिधि ने बचपन में ही लिखने में काफ़ी दिलचस्पी पैदा कर ली थी. लेकिन, जस्टिस पार्टी के एक नेता अलागिरिसामी के भाषणों ने उनका ध्यान
राजनीति की तरफ़ आकर्षित कर लिया.
स्कूल में 50 पन्नों की पनगल राजा
रामरायानिंगर कहानी, जस्टिस पार्टी के एक नेता और मद्रास प्रेसीडेंसी के एक
पूर्व मुख्यमंत्री ने भी युवा करुणानिधि को प्रेरणा दी.
करुणानिधि
ने किशोरावस्था में ही सार्वजनिक जीवन की तरफ़ क़दम बढ़ा दिए थे. उन्होंने
मद्रास प्रेसीडेंसी में स्कूल के सिलेबस में हिंदी को शामिल किए जाने के
ख़िलाफ़ हुए विरोध-प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था.
17 साल की उम्र
में उनकी राजनीतिक सक्रियता काफ़ी बढ़ गई थी. करुणानिधि ने 'तमिल स्टूडेंट
फ़ोरम' के नाम से छात्रों का एक संगठन बना लिया था और हाथ से लिखी हुई एक पत्रिका भी छापने लगे थे.
1940 के दशक की शुरुआत में करुणानिधि की मुलाक़ात अपने उस्ताद सीएन अन्नादुरै से हुई.
जब अन्नादुरै ने 'पेरियार' ईवी रामास्वामी की पार्टी द्रविडार कझगम
(डीके) से अलग होकर द्रविड़ मुनेत्र कझगम यानी डीएमके की शुरुआत की, तब तक
करुणानिधि उनके बेहद क़रीबी हो चुके थे.
उस वक़्त यानी महज़ 25 बरस की उम्र में करुणानिधि को डीएमके की प्रचार समिति में शामिल किया गया था.
इसी दौरान, करुणानिधि ने फ़िल्मी दुनिया में भी क़दम रखा. उन्होंने सबसे
पहले तमिल फ़िल्म 'राजाकुमारी' के लिए डायलॉग लिखे. इस पेशे में भी
करुणानिधि को ज़बरदस्त कामयाबी मिली.
सबसे ख़ास बात ये थी कि करुणानिधि के डायलॉग में सामाजिक न्याय और तरक़्क़ीपसंद समाज की बातें थीं.
1952 में आई फ़िल्म 'पराशक्ति' में करुणानिधि के लिखे ज़बरदस्त डायलॉग ने
इसे तमिल फ़िल्मों में मील का पत्थर बना दिया.
फ़िल्म के शानदार डायलॉग के ज़रिए अंधविश्वास, धार्मिक कट्टरता और उस वक़्त की सामाजिक व्यवस्था पर सवाल उठाए गए थे.
कल्लाक्कुडी नाम की जगह का नाम बदलकर डालमियापुरम करने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के चलते करुणानिधि छह महीने के लिए जेल में डाल दिए गए.sex
इसके
बाद से पार्टी में वो बहुत ताक़तवर होने लगे. अपने विचारों का ज़ोर-शोर से प्रचार करने के लिए करुणानिधि ने मुरासोली नाम के अख़बार का प्रकाशन शुरू
किया. (यही अख़बार बाद में डीएमके का मुखपत्र बना) मलाईकल्लन, मनोहरा जैसी
फ़िल्मों में अपने शानदार डायलॉग के ज़रिए करुणानिधि तमिल फ़िल्मी उद्योग
में सबसे बड़े डायलॉग लेखक बन चुके थे.
करुणानिधि ने 1957 से चुनाव लड़ना शुरू किया था. पहले प्रयास में वो
कुलिथलाई से विधायक बने. करुणानिधि ने अपना आख़िरी चुनाव 2016 में
थिरुवारूर से लड़ा था. इस विधानसभा क्षेत्र में उनका पुश्तैनी गांव भी आता
है. कुल मिलाकर करुणानिधि ने 13 विधानसभा चुनाव लड़े और हर चुनाव में
उन्होंने जीत हासिल की.
जब 1967 में उनकी पार्टी डीएमके ने राज्य की
सत्ता हासिल की, तो सरकार में वो मुख्यमंत्री अन्नादुरै और नेदुनचेझियां के
बाद तीसरे सबसे सीनियर मंत्री बने थे. डीएमके की पहली सरकार में करुणानिधि
को लोक निर्माण और परिवहन मंत्रालय मिले थे. परिवहन मंत्री के तौर पर
उन्होंने राज्य की निजी बसों का राष्ट्रीयकरण किया और राज्य के हर गांव को बस के नेटवर्क से जोड़ना शुरू किया. इसे करुणानिधि की बड़ी उपलब्धियों में
गिना जाता है.fuck
जब करुणानिधि के मेंटर सीएन अन्नादुरै की 1969 में मौत
हो गई, तो वो मुख्यमंत्री बने. करुणानिधि के मुख्यमंत्री बनने से राज्य की
राजनीति में नए युग की शुरुआत हुई थी.
करुणानिधि की पहली सरकार के कार्यकाल में ज़मीन की हदबंदी को 15 एकड़ तक
सीमित कर दिया गया था. यानी कोई भी इससे ज़्यादा ज़मीन का मालिक नहीं रह
सकता था.
इसी दौरान करुणानिधि ने शिक्षा और नौकरी में पिछड़ी जातियों
को मिलने वाले आरक्षण की सीमा 25 से बढ़ाकर 31 फ़ीसदी कर दी. क़ानून बनाकर
सभी जातियों के लोगों के मंदिर के पुजारी बनने का रास्ता साफ़ किया गया.
राज्य में सभी सरकारी कार्यक्रमों और स्कूलों में कार्यक्रमों की शुरुआत
में एक तमिल राजगीत (इससे पहले धार्मिक गीत गाए जाते थे) गाना अनिवार्य कर
दिया गया.
19वीं सदी के तमिल नाटककार और कवि मनोनमानियम सुंदरानार
की लिखी कविता को तमिल राजगीत बनाया गया. करुणानिधि ने एक क़ानून बनाकर
लड़कियों को भी पिता की संपत्ति में बराबर का हक़ दिया.
उन्होंने
राज्य की सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण भी दिया.
सिंचाई के लिए पंपिंग सेट चलाने के लिए बिजली को करुणानिधि ने मुफ़्त कर
दिया. उन्होंने पिछड़ों में अति पिछड़ा वर्ग बनाकर उसे पिछड़े वर्ग,
अनुसूचित जाति और जनजाति कोटे से अलग, शिक्षा और नौकरियों में 20 फ़ीसदी
आरक्षण दिया.
करुणानिधि की सरकार ने चेन्नई में मेट्रो ट्रेन सेवा की
शुरुआत की. उन्होंने सरकारी राशन की दुकानों से महज़ एक रुपए किलो की दर
पर लोगों को चावल देना शुरू किया. स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33
फ़ीसद आरक्षण लागू किया. जनता के लिए मुफ़्त स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत की. दलितों को मुफ़्त में घर देने से लेकर हाथ रिक्शा पर पाबंदी
लगाने तक के उनके कई काम सियासत में मील के पत्थर साबित हुए.
करुणानिधि
19 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने इस दौरान 'सामाथुवापुरम' के
नाम से मॉडल हाउसिंग स्कीम शुरू की. इस योजना के तहत दलितों और ऊंची जाति
के हिंदुओं को मुफ़्त में इस शर्त पर घर दिए गए कि वो जाति के बंधन से
आज़ाद होकर साथ-साथ रहेंगे. इस योजना के तहत बनी कॉलोनियों में सवर्ण
हिंदुओं और दलितों के घर अगल-बगल बनाए गए थे.
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